मध्यान्ह भोजन व्यवस्था


पूर्व में रसोईघर में भोजन निर्माण हेतु बर्तन उपलब्ध नहीं थे। बाद में प्रधानाध्यापक व अन्य अध्यापकों ने आपसी सहयोग से आवश्यक बर्तनों की व्यवस्था की। 

इसके अतिरिक्त भोजन निर्माण हेतु गैस चूल्हे के स्थान पर लकड़ी व उपलों से जलने वाले चूल्हे का प्रयोग किया जाता था, बंद रसोई घर में धुंए के कारण घुटन होती थी जिस कारण भोजन रसोईघर के बाहर विद्यालय प्रांगण में बनाया जाता था , जिससे पक्षियों द्वारा भोजन को दूषित किये जाने तथा तेज हवायें चलने पर आग लगने की भी संभावना रहती थी। भोजन निर्माण की परिवर्तन लागत भी अधिक आती थी। 

प्रधानाध्यापक जी ने अन्य शिक्षकों के सहयोग से भोजन निर्माण हेतु एक गैस सिलेंडर व एक अच्छी गुणवत्ता वाले जोखिम रहित गैस चूल्हे की व्यवस्था की। विद्यालय में बर्तन व गैस कनेक्शन न होने की सूचना जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी महोदय को दे दी गयी है।
भोजन निर्माण में शासन के मानकों के अनुसार प्रथम स्तरीय गुणवत्तायुक्त सामग्री का प्रयोग किया जाता है।